गीत: चलो सेवा की राह चले
(समाजसेवा, मानवता और राष्ट्र सेवा को समर्पित)
चलो सेवा की राह चले,
धरती माँ को प्राण मिले।
दुखियों के आँगन में दीप जलाएँ,
आशा के गीत हर दिल में गाएँ।।
चलो सेवा की राह चले…
भूख से रोती आँखें देखें,
बिना छत के दिन-रात सहे।
हम चलें जहाँ मजबूरी बोले,
हम बनें वहाँ कोई आस बने।।
चलो सेवा की राह चले…
न जात का बंधन, न भाषा का भार,
इंसानियत हो धर्म हमारा।
हाथ बढ़ाएँ, दिल से निभाएँ,
हर पीड़ा में हो साथ हमारा।।
चलो सेवा की राह चले…
कभी रक्त बनें, कभी अश्रु पोंछें,
कभी अनाथ की छाया बन जाएँ।
नशा मिटाएँ, शिक्षा पहुँचाएँ,
हर गाँव में उम्मीद जगाएँ।।
चलो सेवा की राह चले…
जहाँ वृद्ध तन्हा, वहाँ मुस्कान बनें,
जहाँ शोषण हो, वहाँ आवाज बनें।
जहाँ अंधकार, वहाँ प्रकाश बनें,
हर सेवा में देश का नाम बनें।।
चलो सेवा की राह चले,
धरती माँ को प्राण मिले।।
जय हिन्द! जय जीवनरक्षक!
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