🌿 एक कदम मानवता की ओर ..... 🌿
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राष्ट्रसेवा वह पुण्य मार्ग है, जिस पर चलने वाला हर व्यक्ति माँ भारती की गोद को पुष्ट करता है। देशप्रेम केवल शब्दों में नहीं, जीवन की हर साँस में होना चाहिए। भारत को महान बनाने का संकल्प तब ही साकार होगा, जब हम हर क्षेत्र में अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाएँ – चाहे वह शिक्षा हो, सेवा हो या समाज सुधार।
आज का युग सिर्फ प्रगति का नहीं, प्रकृति के प्रति निष्ठा का भी युग है। हमारी धरती माता – नदियाँ, पहाड़, पेड़, जीव-जंतु – यह सब हमारी धरोहर हैं। पेड़ लगाना, जल बचाना और वनों को संरक्षित करना अब विकल्प नहीं, जिम्मेदारी है। प्रकृति के बिना प्रगति अधूरी है। एक सच्चा देशभक्त वही है जो पर्यावरण की रक्षा में अपना योगदान देता है।
🌟 “प्रकृति से प्रेम करो, तो प्रकृति तुम्हें जीवन देगी।” 🌟
समाज तब ही सशक्त होगा, जब उसमें नशा नहीं, संस्कार होंगे। नशा केवल स्वास्थ्य नहीं, चरित्र और चेतना को भी नष्ट करता है। युवाओं को जागरूक करना, उन्हें रचनात्मक दिशा में लगाना – यही सबसे बड़ी सेवा है। एक नशामुक्त भारत ही स्वस्थ और समर्पित भारत हो सकता है।
रक्तदान, सेवा का वह रूप है जो न जाति देखता है, न धर्म – केवल मानवता देखता है। थैलेसीमिया से पीड़ित नन्हें बच्चों के लिए यह रक्त जीवन का उपहार है। सोचिए, हमारा एक यूनिट रक्त किसी माँ की गोद सूनी होने से बचा सकता है।
🌟 “हर बूँद में जीवन है, हर रक्तदाता में राष्ट्र का रक्षक।” 🌟
लेकिन मानवता का अर्थ केवल दान या अभियान नहीं होता — वह उस भावना का नाम है जो हमें असहायों के दुःख को अपना मानने की प्रेरणा देती है। बुज़ुर्गों का सम्मान, गरीबों की सहायता, अनाथ बच्चों की परवरिश, शोषितों के लिए आवाज़ उठाना – यही सच्चा धर्म है। यही 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना है।
आज ज़रूरत है एक ऐसे जागृत समाज की, जो राष्ट्र के लिए जिए, प्रकृति को अपनाए, पर्यावरण को बचाए, नशे के खिलाफ लड़े, रक्तदान करे, और पीड़ितों को सहारा दे।
✍️ – Naresh Sharma, Sankalp Seva
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