नारी शक्ति, साहस और समर्पण की गाथा
बचपन और सपनों की उड़ान
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की एक शांत गली में, दस साल की व्योमिका सिंह अपने घर की छत पर बैठकर आकाश की ओर देख रही थी। हल्के नीले आकाश में एक विमान तेजी से उड़ता हुआ दिखाई दिया। वह उत्साह से खड़ी हो गई और अपनी माँ से बोली,
"माँ, मैं भी ऐसे विमान उड़ाना चाहती हूँ!"
माँ ने मुस्कुराते हुए उसके सिर पर हाथ रखा और कहा,
"सपने देखो, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत भी जरूरी है।"
व्योमिका को यह बात दिल में बैठ गई। जब वह छठी कक्षा में थी, तब उसने अपने नाम का अर्थ जाना—‘व्योमिका’ यानी आकाश की स्वामिनी। उस दिन उसने ठान लिया कि वह भारतीय वायुसेना में पायलट बनेगी।
स्कूल के दिनों में उसने राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) में भाग लिया, जहाँ उसने अनुशासन और नेतृत्व की बारीकियाँ सीखीं। लेकिन यह सफर आसान नहीं था। जब उसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की, तो कई लोगों ने उसे हतोत्साहित किया।
"लड़कियाँ फाइटर पायलट नहीं बन सकतीं,"
कुछ लोगों ने कहा। लेकिन व्योमिका ने इन बातों को नजरअंदाज किया। उसने दिन-रात मेहनत की और 18 दिसंबर 2004 को भारतीय वायुसेना में कमीशन प्राप्त किया। यह उसकी पहली उड़ान थी—सपनों की उड़ान।
: सैन्य जीवन और चुनौतियाँ
भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद, व्योमिका ने खुद को कठिन परिस्थितियों में साबित किया। वह एक विशेषज्ञ हेलीकॉप्टर पायलट बनीं और चेतक व चीता जैसे हेलीकॉप्टरों को उड़ाने में महारत हासिल की।
उनके जीवन का सबसे कठिन दिन वह था जब उन्हें अरुणाचल प्रदेश में एक महत्वपूर्ण बचाव अभियान का नेतृत्व करने का आदेश मिला। वहाँ मौसम खराब था, पहाड़ी इलाका खतरनाक था, और उन्हें नागरिकों को सुरक्षित निकालना था।
"अगर मैं असफल हुई, तो कई जानें खतरे में पड़ जाएँगी,"
उसने सोचा। लेकिन उसने डर को खुद पर हावी नहीं होने दिया। हेलीकॉप्टर उड़ाकर, विषम परिस्थितियों में उतरते हुए, उसने सभी नागरिकों को सुरक्षित निकाला। यह उसकी पहली बड़ी जीत थी।
ऑपरेशन सिंदूर - विंग कमांडर व्योमिका सिंह की निर्णायक भूमिका
7 मई को, जब पूरी दुनिया भारतीय सेना की रणनीति को जानने के लिए इंतजार कर रही थी, तब नई दिल्ली में एक प्रेस ब्रीफिंग आयोजित की गई। मंच पर तीन लोग थे—
- कर्नल सोफिया कुरैशी
- विदेश सचिव विक्रम मिसरी
- विंग कमांडर व्योमिका सिंह
यह पहली बार था जब दो महिला सैन्य अधिकारी इतने उच्च स्तर की ब्रीफिंग का हिस्सा बनीं। व्योमिका ने साहस और आत्मविश्वास के साथ ऑपरेशन की रणनीति समझाई।
"हमारे सैनिकों ने अचूक निशाना साधा और दुश्मन के हर ठिकाने को नष्ट कर दिया। यह सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं था, यह आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक संदेश था!"
उनका बयान पूरे देश में गर्व और सम्मान की लहर ले आया।
व्यक्तिगत जीवन की उड़ान
उनका विवाह भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन दिनेश सभरवाल से हुआ है। उनके ससुर श्री प्रेम सभरवाल हरियाणा के भिवानी जिले के बापौड़ा गांव के निवासी हैं। यह परिवार देशसेवा की परंपरा को जीता है। विंग कमांडर व्योमिका अपने परिवार की पहली महिला हैं जिन्होंने सैन्य सेवा को अपनाया और नारी नेतृत्व की मिसाल पेश की।
समाज के लिए प्रेरणा और सीख
व्योमिका सिंह की यात्रा हमें यह सिखाती है कि अगर इरादे पक्के हों और रास्ता कठिन भी हो, तो मंजिल जरूर मिलती है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि महिलाएं न केवल युद्धभूमि में, बल्कि रणनीति, नेतृत्व और साहस में भी अग्रणी हैं।
उनकी कहानी उन सभी बेटियों के लिए प्रेरणा है जो सपनों को खुला आसमान देना चाहती हैं।
“अगर आपके सपनों में उड़ान है, तो व्योमिका जैसी नायिकाएं रास्ता दिखा सकती हैं।”
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