फागु की बर्फीली हवा

फागु की बर्फीली हवा


हिमाचल प्रदेश के शांत पहाड़ों में बसा फागु, हर साल सर्दियों में एक नई कहानी बुनता है। यहाँ की बर्फीली हवा केवल ठंडी नहीं होती, बल्कि हर किसी के जीवन में एक अनकहा एहसास छोड़ जाती है।

रवि, एक युवा फोटोग्राफर, पहली बार फागु आया था। वह शहर की भीड़-भाड़ और शोर से दूर, कुछ शांति की तलाश में था। सुबह जब उसने अपने होटल की खिड़की खोली, तो सफेद चादर में लिपटी पहाड़ियों ने उसे मंत्रमुग्ध कर दिया। लेकिन असली जादू बर्फीली हवा में था—जो उसके चेहरे को छूकर उसे अजीब-सी सुकून भरी ठंडक दे रही थी।

वह फागु की छोटी सी बाजार की एक चाय की दुकान  पहुँचा। वहाँ बैठे बुजुर्ग ने उसे देखते ही मुस्कुराकर कहा, "पहली बार आए हो, बेटा?"
रवि ने हाँ में सिर हिलाया।
बुजुर्ग बोले, "फागु की हवा हर किसी के मन की उलझनें सुलझा देती है। बस, इसे अपनी अंतरात्मा से महसूस करो।"



रवि कुछ समझ नहीं पाया, लेकिन उसने गरमा -गरम चाय पी और गहरी साँस ली। फिर बहार  सड़क की ओर निकाल पड़ा, सड़क पर हल्की -हल्की बर्फ गिर रही थी। ठंडी  हवा उसे छूते हुए मानो कोई बहुत पुरानी यादें ताज़ा करवा रही हो। अचानक, उसे एहसास हुआ कि वह इतने दिनों से भाग-दौड़ में खुद को भूल चुका है। उसने अपनी कैमरा बैग नीचे रखा और पहली बार बिना तस्वीर खींचे सिर्फ हवा का आनंद लेने लगा। फिर उसे चाय वाले बजुर्ग बाबा की वह बात याद आई की - ये  "फागु की हवा हर किसी के मन की उलझनें सुलझा देती है। बस, इसे अपनी अंतरात्मा से महसूस करो।"

संदेश:
कभी-कभी जीवन की सबसे सुंदर अनुभूति को पकड़ने के लिए हमें कुछ भी करने की जरूरत नहीं होती—बस उसे महसूस करना होता है। जैसे फागु की बर्फीली हवा, जो बिना कोई शब्द कहे, हमें खुद से मिलाने का मौका देती है।

🌍 Global Summary (in English):

Set in the snowy hills of Fagu, Himachal Pradesh, this emotional short story follows Ravi, a city-based photographer, as he rediscovers himself amidst the serene beauty and chilly winds. A conversation with a wise local teaches him the value of silence, self-awareness, and simply “being.” A gentle reminder that sometimes, the best moments in life are felt — not captured.

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