एक अच्छे समाज का निर्माण कैसे होता है?

एक अच्छे समाज का निर्माण कैसे होता है?


एक अच्छे समाज का निर्माण केवल कानूनों या व्यवस्थाओं से नहीं होता, बल्कि वहाँ रहने वाले नागरिकों के चरित्र, संस्कार और सामूहिक चेतना से होता है। ‘संकल्प सेवा’ का मानना है कि एक सशक्त समाज की नींव सेवा, समर्पण और सहयोग जैसे मूल्यों पर टिकी होती है – जहाँ हर व्यक्ति न केवल अपने अधिकारों को जानता है, बल्कि अपने कर्तव्यों को भी निभाने के लिए प्रतिबद्ध होता है।

एक आदर्श समाज वही होता है जहाँ समानता, समरसता, न्याय और करुणा का वातावरण हो। जहाँ जाति, धर्म, वर्ग या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न हो और हर व्यक्ति को सम्मान, सुरक्षा और अवसर मिलें। ‘संकल्प सेवा’ इस दृष्टिकोण को व्यवहार में उतारने का कार्य कर रही है – चाहे वह रक्तदान जागरूकता अभियान हो, नशा मुक्ति आंदोलन हो या थैलेसीमिया पीड़ितों की सहायता।

हमारे अनुभव से स्पष्ट है कि समाज का निर्माण केवल सरकारों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। इसमें हर नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। जब एक युवा रक्तदान करता है, जब कोई स्वयंसेवक थैलेसीमिया पीड़ित के लिए दौड़ता है, जब कोई व्यक्ति बिना किसी प्रचार के बुजुर्ग की सेवा करता है – तो वहीं से अच्छे समाज की शुरुआत होती है।

परिवार, विद्यालय और समाज को मिलकर भावी पीढ़ी को संस्कार, सेवा भावना और सामाजिक जिम्मेदारी सिखानी होगी। ‘संकल्प सेवा’ का हर प्रयास इसी दिशा में केंद्रित है – कि समाज में सिर्फ बातें न हों, बल्कि सकारात्मक क्रियाएं हों।

हम यह मानते हैं कि जब व्यक्ति “मैं” से ऊपर उठकर “हम” की सोच अपनाता है, तभी सहयोग, समर्पण और सेवा का वातावरण बनता है। यही वातावरण समाज को मजबूत करता है, असहायों को सहारा देता है और राष्ट्र को एक नई दिशा प्रदान करता है।

अतः एक अच्छा समाज वहीं बनता है जहाँ हर नागरिक कर्तव्यनिष्ठ, संवेदनशील और जागरूक हो — और यही संकल्प सेवा का संदेश है:
"सेवा ही संस्कृति है, और सहयोग ही शक्ति।"
यही भावना भारत को एक सशक्त, समर्पित और समरस राष्ट्र बना सकती है।

"अच्छा समाज वह नहीं जो सम्पन्न हो, बल्कि वह है जो संवेदनशील और संगठित हो।"

 सामाजिक मूल्यों की स्थापना

सामाजिक मूल्यों की स्थापना किसी भी राष्ट्र के चरित्र निर्माण का मूल आधार है। 'संकल्प सेवा' का मानना है कि समाज तभी सशक्त बनता है जब उसमें मानवता, करुणा, समानता, कर्तव्य-भावना और सेवा जैसे मूल्यों को सम्मान और अभ्यास के रूप में अपनाया जाए।

आज की भौतिकवादी और प्रतिस्पर्धी दुनिया में ये मूल्य धीरे-धीरे कमजोर पड़ते जा रहे हैं। ऐसे में इनकी पुनर्स्थापना अत्यंत आवश्यक है। ‘संकल्प सेवा’ यही प्रयास करती है कि सेवा कार्यों के माध्यम से लोगों में नैतिक जागरूकता और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना जागृत हो। जब युवा रक्तदान करते हैं, थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए आगे आते हैं, नशा मुक्त समाज के लिए अभियान चलाते हैं – तब वे केवल कार्य नहीं कर रहे होते, बल्कि समाज में मूल्यों की पुनर्स्थापना कर रहे होते हैं।

इन मूल्यों की जड़ें परिवार, विद्यालय और सामाजिक संगठनों में होती हैं। यदि इन संस्थाओं द्वारा बच्चों और युवाओं को सही दिशा दी जाए, तो आने वाली पीढ़ी संवेदनशील, कर्तव्यनिष्ठ और सहयोगी समाज का निर्माण करेगी।

‘संकल्प सेवा’ का विश्वास है – जब हर व्यक्ति अपने भीतर सेवा और समर्पण का भाव जगाएगा, तभी समाज में सच्चे सामाजिक मूल्य पुनर्जीवित होंगे। यही हमारा ध्येय है, यही हमारी प्रेरणा है – “सेवा से संस्कार, और संस्कार से समाज।”

 समानता और समरसता का वातावरण

समानता और समरसता किसी भी उन्नत समाज की आत्मा होती है। ‘संकल्प सेवा’ का दृढ़ विश्वास है कि जब हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के समान अवसर, अधिकार और सम्मान प्राप्त हो, तभी एक सशक्त और समरस समाज की रचना संभव होती है।

हमारी सांस्कृतिक विविधता तभी हमारी ताकत बनती है जब उसमें परस्पर सम्मान, सहिष्णुता और सहयोग का भाव हो। ‘संकल्प सेवा’ यह दृष्टिकोण रखती है कि समाज के प्रत्येक वर्ग – चाहे वह किसी जाति, धर्म, लिंग या आर्थिक स्थिति से हो – को साथ लेकर चलना ही सच्चे लोकतंत्र की नींव है।

हमारे रक्तदान शिविर, थैलेसीमिया सहायता, नशा मुक्ति अभियान और बुजुर्ग सेवा कार्यक्रम में हर वर्ग और समुदाय के लोग समान भाव से भाग लेते हैं। यह ‘संकल्प सेवा’ की सोच का प्रतीक है कि विविधता में ही एकता का मूल छिपा है।

हमारा उद्देश्य है कि समाज का हर व्यक्ति समान रूप से सहभागी और स्वीकार्य बने।

‘संकल्प सेवा’ यह विश्वास रखती है कि समरसता तब उत्पन्न होती है जब “तुम” और “मैं” की दीवारें हटकर “हम” बन जाएँ। यही वह रास्ता है जो हमें सशक्त, संतुलित और संवेदनशील भारत की ओर ले जाता है।

शिक्षा – समाज निर्माण की रीढ़

संकल्प सेवा’ यह मानती है कि शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं, बल्कि व्यक्ति के चरित्र, कर्तव्य और चेतना का विकास करने वाला माध्यम है। एक शिक्षित समाज ही जागरूक, उत्तरदायी और सशक्त हो सकता है।

जब बच्चे स्कूलों में केवल अंकों की दौड़ से ऊपर उठकर सेवा, समर्पण और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे मूल्य सीखते हैं, तभी वे भविष्य में एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।

‘संकल्प सेवा’ शिक्षा को जीवन मूल्यों से जोड़ने की दिशा में कार्य करती है, जहाँ युवा केवल रोजगार नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की सोच लेकर आगे बढ़ें।

हमारा मानना है कि सच्ची शिक्षा वही है जो व्यक्ति को संवेदनशील बनाए, विवेकशील बनाए, और समाज के लिए उपयोगी बनाए।

शिक्षा के माध्यम से ही हम भविष्य की उस नींव को मजबूत कर सकते हैं, जिस पर एक समरस, सशक्त और सेवा प्रधान समाज खड़ा हो सके।

"यदि हम समाज बदलना चाहते हैं, तो पहले शिक्षा को दिशा देनी होगी।"


 कर्तव्य-भावना को जागृत करना

जब कोई समाज जागरूक, अनुशासित और नैतिक मूल्यों से जुड़ा होता है, तो वह केवल भौतिक रूप से ही नहीं, बल्कि आत्मिक रूप से भी समृद्ध बनता है। ऐसे समाज की आत्मा होती है – कर्तव्य भावना। यह भावना न तो केवल शासकीय आदेशों से आती है, न ही केवल धर्मग्रंथों से। यह आती है संस्कारों, सेवा और आत्मचिंतन से।

‘संकल्प सेवा’ यह मानती है कि कर्तव्य भावना को जगाना आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। क्योंकि जब व्यक्ति केवल अपने अधिकारों की बात करता है और कर्तव्यों की उपेक्षा करता है, तब समाज असंतुलित हो जाता है।

कर्तव्य भावना की जागरूकता की नींव बचपन की शिक्षा में ही रखी जाती है। जब हम बच्चों को केवल परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए नहीं, बल्कि जीवन में अच्छा मनुष्य बनने के लिए तैयार करते हैं, तब उनमें यह भावना स्वतः विकसित होती है।

‘संकल्प सेवा’ का प्रयास है कि शिक्षा प्रणाली में नैतिक शिक्षा, प्रेरणादायक प्रसंग, स्वतंत्रता सेनानियों और समाज सेवकों की जीवनियाँ शामिल हों, ताकि नई पीढ़ी केवल अधिकारों की नहीं, कर्तव्यों की भी समझ विकसित करे।

“मैं से हम” – कर्तव्य की अंतिम पराकाष्ठा

कर्तव्य का सबसे उच्चतम रूप तब होता है जब व्यक्ति स्वयं को पीछे रखकर, समाज और राष्ट्र को आगे रखता है। जब 'मैं' की सोच समाप्त होकर 'हम' की भावना जन्म लेती है, तब समाज में सच्ची समरसता और संवेदनशीलता आती है। ‘संकल्प सेवा’ इस विचार को अपने हर अभियान, हर आयोजन और हर मंच पर प्रस्तुत करती है – कि सेवा, सहयोग और समर्पण के बिना कर्तव्य का कोई अर्थ नहीं।


“कर्तव्य वह शक्ति है जो व्यक्ति को मानव बनाती है, और समाज को राष्ट्र।”


 सेवा और सहयोग की भावना

सेवा और सहयोग की भावना किसी भी सभ्य, संवेदनशील और सशक्त समाज की आत्मा होती है। जब कोई व्यक्ति निःस्वार्थ भाव से किसी जरूरतमंद की सहायता करता है, तो वह केवल एक कार्य नहीं करता, बल्कि समाज के भीतर विश्वास, अपनापन और मानवता के बीज बोता है।

‘संकल्प सेवा’ का स्पष्ट दृष्टिकोण है कि सेवा केवल आर्थिक दान तक सीमित नहीं है – सेवा का वास्तविक अर्थ है किसी की पीड़ा को समझना, उसके साथ खड़ा होना, और उसे सहारा देना। वहीं सहयोग का तात्पर्य है – आपसी समर्पण, सहभागिता और मिलकर समाधान की भावना।

हमारे रक्तदान शिविरों, थैलेसीमिया सहायता अभियानों, नशा मुक्ति जागरूकता कार्यक्रमों और वृद्ध सेवा प्रकल्पों में यही भावनाएं प्रमुख होती हैं। इन कार्यों में समाज के सभी वर्गों की साझा भागीदारी और सहयोग ‘संकल्प सेवा’ की प्रेरणा बनती है।

परिवार, विद्यालय और समाज को मिलकर यह मूल्य बचपन से ही बच्चों में विकसित करने चाहिए।

‘संकल्प सेवा’ यह मानती है कि जब सेवा और सहयोग जनमानस की आदत बन जाए, तब समाज में समानता, समरसता और करुणा की गहरी जड़ें जमती हैं – और यही एक सशक्त राष्ट्र की सच्ची नींव है।


 स्वच्छता, स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूकता

स्वच्छता, स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूकता आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। स्वच्छता न केवल बाहरी सफाई है, बल्कि यह विचारों, व्यवहार और जीवनशैली की शुद्धता भी है। स्वच्छ वातावरण हमें बीमारियों से बचाता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और समय-समय पर जांच के माध्यम से संभव है। एक स्वस्थ व्यक्ति ही सक्रिय, रचनात्मक और समाज के लिए उपयोगी बन सकता है।

पर्यावरण की रक्षा के बिना जीवन असंभव है। वृक्षारोपण, जल संरक्षण, प्लास्टिक मुक्त जीवन और संसाधनों का संयमित उपयोग हमें भविष्य को सुरक्षित बनाने में मदद करते हैं।

इन तीनों विषयों की जागरूकता के लिए शिक्षा, जनभागीदारी और व्यवहार में बदलाव जरूरी है। जब प्रत्येक नागरिक यह जिम्मेदारी समझेगा, तभी एक स्वस्थ, स्वच्छ और टिकाऊ समाज का निर्माण संभव होगा।

 महिलाओं और बुजुर्गों को सम्मान

किसी भी सभ्य समाज की पहचान उसकी संवेदनशीलता और सम्मान-भावना से होती है, विशेषकर महिलाओं और बुजुर्गों के प्रति। महिलाएँ समाज की आधी आबादी हैं, जो जीवन के हर क्षेत्र में योगदान देती हैं – घर से लेकर राष्ट्र निर्माण तक। उनका सम्मान करना केवल नैतिक कर्तव्य नहीं, बल्कि सामाजिक संतुलन की आवश्यकता है।

इसी प्रकार, बुजुर्ग समाज का अनुभव और मार्गदर्शन हैं। जिन्होंने अपने जीवन की तपस्या से वर्तमान पीढ़ी को संस्कार, सुरक्षा और परंपरा दी है, उनका आदर और सेवा करना हमारी संस्कृति का मूल है।

‘संकल्प सेवा’ इसी सोच को आगे बढ़ाता है। हमारा उद्देश्य है—"सेवा, सम्मान और सहयोग के मूल्यों को जन-जन तक पहुँचाना।" संकल्प सेवा न केवल थैलेसीमिया और रक्तदान जागरूकता फैलाने का कार्य करता है, बल्कि बुजुर्गों और महिलाओं के हितों की रक्षा, स्वास्थ्य शिविरों, तथा प्रेरणादायक अभियानों के माध्यम से समाज को जागरूक करता है।

हमारा मानना है कि जब हर महिला को सुरक्षा और सम्मान मिलेगा, और हर बुजुर्ग को आदर व सहारा मिलेगा—तभी एक संवेदनशील, संतुलित और सशक्त भारत का निर्माण संभव होगा। यही ‘संकल्प सेवा’ की सच्ची भावना है।

 युवा शक्ति – समाज का भविष्य

युवा किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी शक्ति होते हैं। उनके विचार, ऊर्जा और कर्मठता समाज के वर्तमान को दिशा देती है और भविष्य को आकार देती है। ‘संकल्प सेवा’ का मानना है कि यदि युवाओं की सोच को सेवा, समर्पण और राष्ट्रप्रेम से जोड़ा जाए, तो समाज में असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।

आज के युवा केवल नौकरी पाने के साधन नहीं हैं, बल्कि परिवर्तन के वाहक हैं। वे रक्तदान जैसे महादान से लेकर नशा मुक्ति अभियानों तक समाज को नई दिशा देने में सक्षम हैं। जब एक युवा किसी थैलेसीमिया पीड़ित के लिए रक्तदान करता है, या किसी वृद्ध की सेवा करता है, तो वह केवल मदद नहीं करता—बल्कि समाज के चरित्र को मजबूत करता है।

‘संकल्प सेवा’ युवाओं को मंच देता है—जहाँ वे सेवा कार्यों में भाग लेकर अपने जीवन को उद्देश्यपूर्ण बना सकते हैं। हम मानते हैं कि आज का जागरूक युवा ही कल का आदर्श नागरिक है।

इसलिए हमें अपने युवाओं में कर्तव्य भावना, सेवा संस्कार और सामाजिक उत्तरदायित्व जगाना होगा। यही वह नींव है जिस पर सशक्त, समरस और समर्थ भारत का निर्माण होगा — और यह युवा शक्ति के बिना संभव नहीं।

"युवाओं की ऊर्जा और बुजुर्गों का अनुभव मिल जाए – तो कोई समाज अधूरा नहीं रह सकता।"


 तकनीक और परंपरा का संतुलन

एक सशक्त, संवेदनशील और समरस समाज का निर्माण केवल नीतियों या व्यवस्थाओं से नहीं, बल्कि नागरिकों की कर्तव्य-भावना, सेवा भावना और सामाजिक मूल्यों की स्थापना से होता है। समाज तब ही उज्जवल होता है जब वहाँ समानता, संवाद, सहयोग और सहिष्णुता का वातावरण हो।

‘संकल्प सेवा’ की सोच के केंद्र में यही विचार है—कि जब व्यक्ति अपने अधिकारों के साथ अपने कर्तव्यों को भी समझे, जब सेवा केवल एक आयोजन नहीं बल्कि जीवन का मूल्य बन जाए, और जब सहयोग केवल दिखावा नहीं, बल्कि परस्पर सहारे का भाव बन जाए, तभी समाज स्थिर और संगठित बनता है।

हमने विभिन्न पहलुओं को समझा—शिक्षा को समाज की रीढ़ मानते हुए, संवाद और सहिष्णुता की संस्कृति को बढ़ावा देते हुए, सेवा और सहयोग के माध्यम से करुणा की स्थापना करते हुए, और युवाओं को जागरूक बनाकर उन्हें देश के भविष्य की भूमिका में उतारते हुए।

हमारे हर अध्याय का सार यह है कि समाज को बदलने की शुरुआत नीति से नहीं, व्यक्ति के अंतःकरण से होती है। जब व्यक्ति 'मैं' से 'हम' की सोच में बदलता है, तब परिवार, समाज और राष्ट्र – तीनों स्तर पर बदलाव आता है।

‘संकल्प सेवा’ का कार्य इसी दिशा में एक प्रयास है – सेवा, संस्कार और समर्पण के माध्यम से एक नया भारत गढ़ने का।

आज आवश्यकता है कि हम सब मिलकर यह प्रण लें —
"हम अपने कर्तव्यों को समझेंगे, दूसरों की सेवा करेंगे, और सामाजिक मूल्यों को अपने आचरण में उतारेंगे।"
यही है राष्ट्र सेवा की सच्ची भावना, यही है समाज निर्माण का मार्ग।


"अच्छा समाज उपदेश से नहीं, उदाहरण से बनता है। पहले हम बदलें, फिर समाज बदलेगा।"

🔍 Summary in English:

TA good society is not built merely through development, tall buildings, or modern technology. It is shaped by the values, responsibilities, and collective conscience of its people. According to Sankalp Seva, true societal progress begins when individuals rise above personal interest and embrace service, equality, compassion, and cooperation.

The foundation of a good society lies in value-based education, respect for elders, and care for the helpless. Families, schools, and social institutions must together nurture children with empathy, responsibility, and civic duty.

A society becomes stronger when citizens understand not just their rights, but also their duties—towards the nation, the environment, and each other. Programs like blood donation, anti-drug campaigns, and support for Thalassemia patients are not just acts of service but expressions of a responsible society.

Sankalp Seva believes that when people start thinking in terms of “we” instead of “me,” true harmony and strength emerge. A society built on selfless service, mutual respect, and inclusive progress creates not just peace, but lasting unity.

“Service is culture. Cooperation is strength. And together, they build the foundation of a truly good society.”

© 2025 Naresh Sharma – Sankalp Sevaजो आरंभ से ही पूर्ण हो, वह युगों तक अमर रहता है

0/Post a Comment/Comments

आपका विचार हमारे लिए महत्वपूर्ण है। कृपया संयमित भाषा में कमेंट करें।

और नया पुराने