सेवा के अमर दीप कि प्रेरक गाथा
22 अप्रैल 2025, एक तारीख जो पहलगाम की वादियों में आतंक और भय की छाया लेकर आई। आतंकियों द्वारा किए गए इस जघन्य हमले में 26 निर्दोष लोगो कि हत्या कर दी। इस कायराना हमले में 17 लोग घायल भी हुए हैं। इस हमले के शिकार हुए अधिकतर लोग पर्यटक थे। जो अपने परिवारों के साथ 'मिनी स्विट्जरलैंड' कहे जाने वाले बायसरन घूमने आए थे। इसी समय, गुजरात के अहमदाबाद श्हर के एक दंपति — वैशाली पंड्या और डॉ. हितेश पंड्या जी — श्रीनगर में अपने परिवर के साथ पर्यटन का आनंद ले रहे थे। लेकिन जब उन्हें इस घटना की जानकारी मिली, तो उन्होंने अपने आराम, पर्यटन और डर को त्यागकर मानवता की सेवा का मार्ग चुना।
जहाँ एक ओर इस घटना ने लोगों के दिलों में भय पैदा किया, वहीं दूसरी ओर इस दंपति ने साहस और सेवा का परिचय घायल लोगो को रक्तदान कर के दिया। डॉ. हितेश जी का ब्लड ग्रुप O- नेगेटिव है। अस्पतालों में O- नेगेटिव रक्त की कमी की खबर सुनते ही उन्होंने बिना समय गंवाए अपने जीवन का 35वाँ रक्तदान किया। यह केवल एक रक्तदान नहीं था, बल्कि मानवता के प्रति उनके समर्पण की जीवंत अभिव्यक्ति थी।
वैशाली पंड्या, जो स्वयं 107 बार रक्तदान कर चुकी हैं, अस्पताल में युवाओं को प्रेरित करने में जुट गईं। उनकी आवाज़ में न केवल साहस बल्कि मानवता के लिए एक करुण पुकार भी थी — कि "रक्तदान सेवा नहीं, संस्कार है।" उन्होंने वहाँ मौजूद हर व्यक्ति को यह सिखाया कि सेवा का अर्थ केवल दान नहीं, बल्कि जीवन बचाने की जिम्मेदारी है। वैशाली पंड्या ने उस दिन यह सिद्ध कर दिया कि नारी केवल कोमलता की नहीं, बल्कि साहस और संबल की भी प्रतीक है। उनकी उपस्थिति ने हर व्यक्ति को यह महसूस कराया कि सच्ची वीरता केवल रणभूमि में नहीं, बल्कि जीवनदायिनी सेवा में भी होती है। इस घटना ने वैशाली और डॉ. हितेश के जीवन के उद्देश्य को और भी स्पष्ट कर दिया। उनका मानना है कि रक्तदान केवल एक सामाजिक कार्य नहीं, बल्कि राष्ट्र सेवा का एक अनूठा रूप है। "हर घर रक्तदाता — घर घर रक्तदाता" उनका नारा नहीं, बल्कि एक सेवा का संकल्प है, जो समाज को जागरूक करने और सेवा की भावना को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।
इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया कि जब समाज संकट में हो, तो सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। उनका यह योगदान न केवल घायल लोगों के लिए राहत का कारण बना, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि मानवता के प्रति समर्पण ही सच्चा राष्ट्र प्रेम है।
"रक्त की एक बूँद — किसी का जीवन संपूर्ण !"

वैशाली पंड्या और डॉ. हितेश पंड्या जी का यह कार्य आज के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि जब हम अपने आराम और डर को त्यागकर सेवा का मार्ग चुनते हैं, तभी हम सच्चे अर्थों में समाज के लिए कुछ कर पाते हैं। यह न केवल एक महान सेवा की सराहना है, बल्कि यह दूसरों को भी प्रेरित करने वाला उदाहरण है। ऐसे कार्य समाज में एक सकारात्मक ऊर्जा और मानवता के प्रति गहरी भावना को प्रकट करते हैं।
"हर घर रक्तदाता — घर घर रक्तदाता !"
बहुत ही प्रेरणादायक सेवा कार्य 🙏🇮🇳
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