भारत के ‘बैज मैन’ – श्री अरुण गोकुलदास जी
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बैज मैन’ – श्री अरुण गोकुलदास |
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श्री अरुण गोकुलदास और ब्लड डोनर नरेश शर्मा शिमला |
रक्तदान: उनका जीवन संकल्प
श्री अरुण जी की सेवा यात्रा का सबसे प्रेरणादायक पहलू है उनका रक्तदान। 65 वर्ष की आयु में भी वे “रक्तदान करें, जीवन बचाएं” के मंत्र को अपने जीवन का आधार बनाए हुए हैं। पिछले 47 वर्षों में उन्होंने 150 से अधिक बार रक्तदान किया, जो न केवल एक रिकॉर्ड है, बल्कि उनकी मानवता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है। 18 वर्ष की आयु से शुरू हुई उनकी यह यात्रा आज भी उतनी ही उत्साहपूर्ण और प्रेरणादायक है। उनके शब्दों में, “रक्तदान से मुझे जो संतुष्टि मिलती है, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। मैं मानता हूं कि मानवता की सेवा ही ईश्वर की सच्ची सेवा है।” उन्होंने 60 वर्ष की आयु तक वर्ष में चार बार रक्तदान किया, फिर इसे तीन और बाद में दो बार तक सीमित किया। अब 65 वर्ष की आयु में वे साल में एक बार रक्तदान करते हैं, लेकिन उनकी सेवा की भावना में कोई कमी नहीं आई। उनकी यह यात्रा हमें यह सिखाती है कि उम्र केवल एक संख्या है, और सच्चा जज़्बा कभी कमजोर नहीं पड़ता है।
श्री अरुण जी का परिवार भी उनकी इस सेवा भावना का एक अभिन्न हिस्सा है। उनकी पत्नी श्रीमती वंदना और उनकी दोनों बेटियां, कविता और सरिता, भी रक्तदान में सक्रिय रूप से भाग लेती हैं। उनके बड़े भाई, श्री सुरेश गोकुलदास और श्री प्रताप गोकुलदास, भी स्वैच्छिक रक्तदाता हैं। यह परिवार न केवल रक्तदान के क्षेत्र में, बल्कि समाजसेवा के हर पहलू में एक आदर्श प्रस्तुत करता है। यह दर्शाता है कि सेवा की भावना केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यह एक संस्कार है जो पूरे परिवार को प्रेरित करता है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान
श्री अरुण गोकुलदास जी केवल एक रक्तदाता ही नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता और संगठन के क्षेत्र में भी एक प्रणेता हैं। वे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रोटरी ब्लड बैंक के मानद सलाहकार हैं और रोटरी क्लब के एक सक्रिय सदस्य के रूप में उन्होंने कोयंबटूर में कई रक्तदान शिविरों और रक्त समूह जांच शिविरों का आयोजन किया है। इन शिविरों के माध्यम से उन्होंने न केवल रक्तदान को प्रोत्साहित किया, बल्कि समाज में इसकी महत्ता के प्रति जागरूकता भी फैलाई। उनकी यह सक्रियता दर्शाती है कि सच्ची सेवा केवल कार्य करने तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह दूसरों को भी प्रेरित करने का एक माध्यम है।
उनकी सेवाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक मान्यता प्राप्त हुई है। इंटरनेशनल रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसाइटी ने उनकी असाधारण सेवाओं को देखते हुए उन्हें 2004 में बीजिंग में आयोजित नौवें वैश्विक सम्मेलन और 2008 में काहिरा, मिस्र में आयोजित ग्यारहवें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। इसके अतिरिक्त, उनकी मानवता के प्रति सेवा के लिए उन्हें अमेरिकन बायोग्राफिकल इंस्टीट्यूट द्वारा वर्ष 2000 में “मैन ऑफ द ईयर” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जो उनकी सेवा के प्रति अटूट समर्पण को और भी स्पष्ट करता है।
“भारत के बैज मैन” – केवल उपाधि नहीं, एक जीवन दर्शन
उनका ब्लेज़र – सैकड़ों बैजों से सुसज्जित – हर उस सेवा क्षण का प्रतीक है जो उन्होंने राष्ट्र और मानवता के लिए जिया। यह केवल कपड़ा नहीं, बल्कि एक चलती-फिरती प्रेरणा है। जो भी इसे देखता है, वह नतमस्तक हो जाता है।
“भारत के बैज मैन” की उपाधि उनके लिए केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि उनके जीवन के मिशन का सार है। उन्होंने अपने कार्यों से यह सिद्ध किया है कि सेवा का मार्ग चुनकर न केवल दूसरों का जीवन बदला जा सकता है, बल्कि स्वयं का जीवन भी अर्थपूर्ण बनाया जा सकता है।
श्री अरुण गोकुलदास जी को संकल्प सेवा परिवार की ओर से सादर नमन और हृदय से वंदन।
India’s “Badge Man” – Mr. Arun Gokuldas
Mr. Arun Gokuldas, lovingly known as “India’s Badge Man”, is a humanitarian from Coimbatore, Tamil Nadu. His blazer, adorned with hundreds of badges, is not just a garment—it is a living museum of service, symbolizing decades of dedication to blood donation and humanitarian causes.
Over the past 47 years, he has donated blood more than 150 times. Even at the age of 65, his commitment to saving lives continues with unwavering passion. His family—including his wife, daughters, and brothers—actively supports and participates in blood donation, making them a model of collective compassion.
He has received numerous national and international recognitions, including the “Man of the Year” award from the American Biographical Institute in 2000, and invitations to Red Cross global conferences in Beijing (2004) and Cairo (2008).
Most recently, during a prestigious ceremony in the Indian state of Himachal Pradesh, he was honored with the traditional Himachali Cap, the distinguished title “Pride of India – Star Blood Donor Badge”, and a commemorative memento. The Himachali cap, a symbol of respect and cultural pride, was placed on his head as a heartfelt tribute to his lifelong dedication to humanity.
This ceremonial recognition was attended by blood donors, social workers, and youth leaders from across the region, making it a historic moment of national pride. The event emphasized that true honor is earned through selfless acts that inspire generations.
Mr. Arun Gokuldas is a true symbol of humility, humanity, and heroism. His inspiring journey proves that greatness is achieved not through fame, but through selfless service to others.
Sankalp Seva family salutes his inspiring journey.🙏
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