रक्तदान और थैलेसीमिया मुक्त भारत का संकल्प

Sankalp Seva
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रक्तदान और थैलेसीमिया मुक्त भारत का संकल्प

जब तक किसी पीड़ित की आवाज़ और दर्द  हमारे अंतर्मन को न झकझोरे, तब तक मनुष्यता अधूरी है। भारत की पुण्यभूमि ने हमें सेवा, त्याग और परोपकार की वह महान परंपरा सौंपी है, जो किसी भी संकट में एक-दूसरे के लिए जीवन समर्पित करने की प्रेरणा देती है। इन्हीं संस्कारों का प्रत्यक्ष उदाहरण है — रक्तदान



रक्तदान मात्र एक शारीरिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि आत्मा की महानता का साक्षात् प्रमाण है। यह मानवता की वह मौन वाणी है, जो बिना शब्दों के भी जीवन के अनमोल संदेश देती है।

आज जब विज्ञान और प्रगति की ऊंचाइयों पर पहुंच चुका है, तब भी रक्तदान जैसे कार्य की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। हिमाचल प्रदेश जैसे शांत प्रदेश में भी 2024 तक थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की संख्या सेंकडो तक पहुँच चुकी है, और लगभग 2.5 लाख लोग वाहक हैं।

आइए, हम सब मिलकर थैलेसीमिया रोगियों की सेवा एवं सहायता के लिए रक्तदान के महायज्ञ अपने रक्त का दान करें, और रक्तदान को जीवन का अनिवार्य संस्कार बनाएं। हर घर से एक रक्तदाता निकले, हर दिल में सेवा का दीप जले — 

© 2025 blood donor naresh sharma || sankalpseva.org ||

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