राष्ट्रप्रेम

एक जीवनशैली, एक संकल्प



राष्ट्रप्रेम केवल एक भावना नहीं है, बल्कि यह जीवनशैली का वह अनिवार्य तत्व है जो व्यक्ति को उसके स्वार्थ से ऊपर उठाकर समाज और देश की बेहतरी के लिए प्रेरित करता है। यह वह भावना है जो किसी सैनिक को सीमा पर अडिग रखती है, किसी किसान को कठिन परिस्थितियों में खेत जोतने की शक्ति देती है, और किसी शिक्षक को भविष्य के नागरिकों को सशक्त बनाने की प्रेरणा देती है।


राष्ट्रप्रेम केवल संघर्ष और युद्ध की परिस्थितियों में नहीं चमकता, बल्कि यह शांति के दिनों में भी हमारे कर्मों, हमारी सोच, और हमारे मूल्यों में दिखाई देता है। यह वह शक्ति है जो हमें एक समाज के रूप में जोड़ती है, एकता की भावना को मजबूत करती है, और हमें अपने देश की प्रगति में योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।


राष्ट्रप्रेम की परिभाषा

राष्ट्रप्रेम को परिभाषित करने के लिए हमें इसे एक संकीर्ण दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए। यह न केवल देशभक्ति की नारेबाजी तक सीमित है, बल्कि यह हमारे जीवन के हर छोटे-बड़े कार्य में प्रकट होता है। जब कोई नागरिक अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाता है, जब कोई व्यक्ति समाज के वंचित वर्ग की सेवा करता है, जब कोई नवयुवक अपने कौशल और श्रम से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है—तभी राष्ट्रप्रेम वास्तविकता बनता है।


राष्ट्रप्रेम न केवल युद्ध के मैदान में दिखाया जाता है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में प्रकट होता है। यह वह विचार है जो हमें दूसरों की भलाई के लिए प्रेरित करता है, और यह वह भावना है जो हमें अपने राष्ट्र की समृद्धि के लिए तत्पर रखती है।.

राष्ट्रप्रेम का ऐतिहासिक संदर्भ

भारत का इतिहास राष्ट्रप्रेम की कहानियों से भरा पड़ा है। जब हम स्वतंत्रता संग्राम के बारे में पढ़ते हैं, तो हमें उन अनगिनत बलिदानों की कहानियाँ मिलती हैं जो यह प्रमाणित करती हैं कि राष्ट्रप्रेम केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में जीवंत होता है।

स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी

भगतसिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, रामप्रसाद बिस्मिल, महात्मा गांधी—इन सभी वीरों ने राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। इनका राष्ट्रप्रेम केवल संघर्ष तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने इसे समाज में जागरूकता फैलाने, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने, और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने के रूप में भी दर्शाया।

आज के समय में राष्ट्रप्रेम

आज राष्ट्रप्रेम का स्वरूप बदल गया है। अब हमें युद्धभूमि में नहीं बल्कि शिक्षा, विज्ञान, कृषि, चिकित्सा, और सामाजिक कार्यों में योगदान देना है। डॉक्टर जब अपनी सेवाओं से देशवासियों को स्वस्थ रखते हैं, जब इंजीनियर राष्ट्र के निर्माण में योगदान देते हैं, जब वैज्ञानिक नई खोजों से देश को आगे बढ़ाते हैं—तब वे सभी राष्ट्रप्रेम के आदर्श उदाहरण बनते हैं।


राष्ट्रप्रेम से कैसे जुड़ें?

  • अपने कर्तव्यों को निष्ठा से निभाकर - राष्ट्र सबसे पहले वहाँ बनता है जहाँ हर नागरिक अपना कार्य ईमानदारी से करता है। जब शिक्षक पढ़ाते हैं, जब किसान मेहनत करते हैं, जब सैनिक सीमाओं की रक्षा करते हैं—तभी राष्ट्र सशक्त बनता है।

  • सेवा के कार्यों से - सेवा का भाव राष्ट्रप्रेम का सच्चा रूप है। जब आप रक्तदान करते हैं, किसी जरूरतमंद की सहायता करते हैं, भूखे को भोजन देते हैं—तब आप न केवल मानवता निभाते हैं, बल्कि राष्ट्र को भी सशक्त करते हैं।
  • स्वदेशी को अपनाकर- हर भारतीय उत्पाद, हर गांव का किसान, हर स्थानीय कारीगर—इनका सहयोग राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाता है। यदि हम 'मेड इन इंडिया' को अपनाएँ और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा दें, तो यह सच्चा राष्ट्रप्रेम होगा।
  • सामाजिक एकता को मजबूत बनाकर - राष्ट्रप्रेम तभी पूर्णता प्राप्त करता है जब समाज में एकता होती है। जाति, धर्म, भाषा की सीमाओं से ऊपर उठकर हमें 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना को अपनाना होगा।
  • राष्ट्र की मिट्टी और इतिहास को जानकर - अपने पुरखों की बलिदानी गाथाएँ, स्वतंत्रता संग्राम, सनातन संस्कृति—जब हम इन्हें पढ़ते और सम्मान करते हैं, तो हमारी नसों में भी वही लौ दौड़ती है, जो हमारे पूर्वजों में थी।


राष्ट्रप्रेम का वास्तविक स्वरूप

राष्ट्रप्रेम केवल शब्दों या भावनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वास्तविक कर्मों में प्रकट होता है। जब हम अपने कार्यों से समाज और देश की प्रगति में योगदान देते हैं, जब हम स्वयं को केवल व्यक्तिगत लाभ तक सीमित नहीं रखते, और जब हम दूसरों की भलाई के लिए संकल्प लेते हैं—तब राष्ट्रप्रेम जीवंत होता है।


निष्कर्ष

राष्ट्रप्रेम कोई किताब में पढ़ने वाली चीज नहीं, बल्कि यह जीवन में उतारने की प्रक्रिया है। यदि हर नागरिक अपने योगदान को समझे और अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाए, तो हमारा राष्ट्र सशक्त और समृद्ध बनेगा।


Global Summary (English):
Patriotism is not just an emotion—it is a way of life. It inspires individuals to rise above selfishness and work for the welfare of society and the nation. From historical freedom fighters to modern-day professionals, every act of service and sincerity is an expression of true patriotism. This article explores how patriotism manifests in daily life, encourages selfless service, promotes unity, and urges all citizens to contribute honestly to national growth.

© 2025 Naresh Sharma – Sankalp Sevaजो आरंभ से ही पूर्ण हो, वह युगों तक अमर रहता है





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