रक्तदान: एक अनमोल सेवा की अविस्मरणीय कहानी

एक दुर्घटना और जीवन का संघर्ष

यह सत्य घटना पर आधारित एक अत्यंत प्रेरणादायक कहानी है जो निस्वार्थ सेवा, मानवता और जीवन को बचाने के प्रति समर्पण को दर्शाती हैं। साल 2001, हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले का एक दुर्गम क्षेत्र। बरसात का मौसम था, पहाड़ी इलाकों में सफर करना जोखिम भरा होता है, लेकिन सौम्या नाम (काल्पनिक) की आठ वर्षीय बच्ची अपने मामा के साथ स्कूलों में पड़ी बरसात छुट्टियां मनाने निकली थी। उसे इस बात का ज़रा भी अंदाजा नहीं था कि यह सफर उसकी जिंदगी का सबसे कठिन दौर बनने वाला है।

रास्ते में उनकी बस का भयंकर एक्सीडेंट हो गया। सौम्या बुरी तरह घायल हो गई। उसे सिर और टांग में गंभीर चोटें आईं। तत्काल उसे चंबा से शिमला के IGMC हॉस्पिटल को रेफर किया गया। वहां डॉक्टरों ने बताया कि ऑपरेशन के लिए 5 से 6 यूनिट रक्त की आवश्यकता होगी।

उस समय मोबाइल का ज्यादा प्रचालन नही था सोशल मीडिया और इंटरनेट का लोगो ने नाम भी नही सुना था, लेंड लाइन फोन होते थे पर वह भी ज्यादा समय खराब ही रहते थे। जिससे शिमला के पहाड़ी इलाके के ब्लड डोनर ढूंढना पाना बेहद कठिन कार्य था। हमने शहर के भीड़-भाड़ वाले इलाकों—बस स्टैंड, कॉलेज के आसपास— रक्तदान करने के लिए पोस्टर लगाए। जो हम उन दिनों अक्सर लगाया करते थे। बड़ी मुश्किल से पांच लोगों ने रक्तदान किया, और मैने स्वंय भी सौम्या के लिए एक यूनिट रक्त दान किया। जिससे ऑपरेशन संभव हुआ। लेकिन सौम्या को तीन दिन बाद फिर 2 यूनिट रक्त की जरूरत पड़ी।

धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ती गई। डेढ़ या दो महीने में उसे कुल 23 यूनिट रक्त की आवश्यकता हुई, जिसे हमारी टीम ने समाज के सहयोग से जुटाया। एक दिन समय के साथ सौम्या ठीक हो गई और अपने घर लौट गई। न मेरे पास उनका कोई संपर्क था, न उनके पास मेरा। 

2008 में मैंने Facebook पर अपना प्रोफाइल बनाया और वहां रक्तदान से जुड़े पोस्ट डालने लगा। जब भी कोई ब्लड डोनेशन कैंप होता, मैं उसमें हिस्सा लेता और उसकी जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करता।

एक दिन, वर्ष 2016 में, मेरी फेसबुक पर एक मैसिज आया। जिसमे लिखा था फेसबुक का शुक्रगुजार हूं कि आपको फेसबुक में ढूंढ पाया— ओर नीचे लिखा-

"कैसे हो, सर? आपका फोन नंबर चाहिए।"

मुझे लगा कि शायद किसी को रक्त या अन्य मदद की जरूरत होगी। तो मैंने अपना नंबर साझा कर दिया। उन दिनों मैं चंडीगढ़ में प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करता था और अक्सर शाम को PGI-Chandigarh अस्पताल के बाहर लंगर सेवा में भोजन वितरण सेवा में निरन्तर सहयोग करता था।

रात को 8:15 बजे मेरे फोन पर कॉल आई, लेकिन मैं व्यस्त था। लंगर में लोगों की लंबी कतारें लगी थीं, इसलिए उस समय फोन उठाना संभव नहीं था।

रात 10:30 बजे के आसपास उनको फोन किया, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया, शायद सो गए होंगे। अगली सुबह 8 बजे दोबारा कॉल आई।

"सर, कैसे हो आप .... आपने 15 -16 साल पहले हमारी बहुत हेल्प की थी, जिससे मेरी बेटी की जान बच गई थी..."

फोन पर दूसरी तरफ एक भावुक आवाज थी। मैं अपने दिमाग मे जोर लगा रहा था परन्तु मैं उन्हें पहचान नहीं पा रहा था।

आखिरकार, उन्होंने कहा—

"शायद आप भूल गए होंगे, लेकिन हम आपको कभी नहीं भूल सकते। आपने मेरी बेटी सौम्या की अस्पताल में बहुत मदद की थी। अगर आप न होते, तो आज मेरी बेटी जीवित न होती।"

उनके शब्द सुनकर मैं स्तब्ध रह गया। रक्तदान करते समय हमने कई लोगों की मदद की थी, लेकिन इस घटना को मैं पूरी तरह भूल चुका था।

"अगले महीने उसकी शादी है। आप जरूर आइए। और एक और बात—यदि आप आओगे तो मैं अपनी बेटी का कन्यादान आपके हाथ से करवाना चाहता हूँ।"

उनके इन शब्दों ने मेरी अंतरात्मा को भाव विभोर और आँखों को नम कर दिया। हमारे इस छोटे से प्रयास को इतना बड़ा स्नेह-सम्मान देकर मुझे कृतार्थ कर रहे थे। जो अविश्वसनीय था।

हालाँकि, मैं उस विवाह समारोह में नहीं जा पाया। क्योंकि मैं जब मानवता की इस पवित्र सेवा से जुड़ा था तो उस समय मैने अपने अंतर्मन से कुछ वादे भी किए थे—

  • जब भी मुझे किसी की सेवा-सहायता का सुअवसर मिलेगा, तो निस्वार्थ भाव से सेवा करूँगा… बदले में न कुछ लूँगा और न कभी उनके घर-परिवार के सदस्य से । मेरी सेवा का उद्देश्य बिना किसी नाम, पहचान या प्रशंसा की अपेक्षा के सिर्फ मानवता की भलाई के लिए होगा। क्योंकि सच्ची सेवा वह है, जो बिना किसी स्वार्थ के की जाए—जहां देने का सुख ही अंतर्मन को आनंदित करता हो। 
शिमला की सेवा
शिमला

मेरा उद्देश्य सिर्फ निस्वार्थ सेवा है, न कि किसी व्यक्तिगत लाभ की कामना करना। यही सिद्धांत मैं जीवनभर निभाता रहूँगा।


समाज और युवाओं के लिए संदेश

  • ✅ रक्तदान करें: यह सबसे पवित्र सेवा है। आपकी कुछ बूंदें किसी की जिंदगी बचा सकती हैं।
  • ✅ निस्वार्थ सेवा करें: जब आप बिना स्वार्थ के किसी की मदद करते हैं, तो वह समाज में सकारात्मक बदलाव लाती है।
  • ✅ समाज को जागरूक करें: रक्तदान, सेवा और परोपकार के कार्यों को बढ़ावा दें।

👉 एक छोटा सा प्रयास किसी के लिए जीवनदायी बन सकता है। तो आइए, सेवा का संकल्प लें और इसे आगे बढ़ाएं।


 👉 By Blood Donor Naresh Sharma



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